लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (27)
अलका आगे जंगल ओर घना होता जा रहा हैं....ऐसे में आगे जाना सुरक्षित नहीं होगा....। मैं एक काम करता हुं.. मौका देखकर एक सुरक्षित जगह गाड़ी रोकता हूं...। तुम और आंटी वहाँ उतर कर छिप जाना और मेरा मोबाइल भी अपने पास रखना.....जिसे तुमने फोन किया था ....उसको सही लोकेशन बता कर तुम दोनों उसके साथ चले जाना....। मैं रश्मि को होश आए तब तक इनको संभाल लुंगा...।
तुम पागल हो गए हो रोहित!!
तुम्हे क्या लगता हैं.....मैं तुम्हें और रश्मि को ऐसे छोड़ कर चली जाउंगी। कभी नहीं।
मर जाउंगी पर रश्मि को ऐसे कभी नहीं छोड़ सकतीं। जो होगा हम सब साथ मिलकर संभाल लेंगे। मैंने लोकेशन भेजी हैं....वो आ ही रहे हैं मदद के लिए।
अलका समझने की कोशिश करो.......इस वक़्त सबका साथ में रहना सही नहीं हैं......ओर फिर आंटी को ऐसे हालत में ले चलना भी सही नहीं हैं....। प्लीज अलका आंटी की खातिर ।
अलका सही कह रहीं हैं बेटा मैं भी ऐसे रश्मि को नहीं छोड़ सकतीं।
आंटी प्लीज आप तो समझने की कोशिश किजिए। हम सब खतरा उठाएं इससे तो बेहतर है .....आप दोनों तो सही सलामत रहे। रश्मि होश में होती तो भी मैं सब संभाल लेता....।
रोहित वो सामने जंगल में देखो। कुछ रोशनी सी आ रही है, लगता हैं कोई घर हैं....जरूर वहाँ कोई रहता होगा, क्यूँ ना हम रश्मि को वहां ले चले।
हां यही सही रहेगा......मैं उस ओर ही चलता हूँ....। शायद वहाँ कोई मिल जाए...।
रोहित ने तेज रफ्तार से अपनी गाड़ी उस ओर ले ली। रिषभ ओर उसके आदमी अभी भी उनके पीछे थे .....पर वो बहुत दूर थे उनसे।
रोहित तुरंत उस घर की ओर पहुंचा.... अलका ने उतर कर दरवाजा खटखटाया तो वो खुला हुआ ही था.... अलका तुरंत रश्मि की मम्मी को लेकर भीतर आ गई... रोहित भी रश्मि को अपनी बांहों में उठाकर भीतर ले आया....। रश्मि को सुरक्षित वहाँ रखे एक सोफे पर लिटाया ओर अलका से कहा :- मैं गाड़ी लेकर उनका ध्यान भटकाता हूँ......तुम सब यही रहकर अपना ओर रश्मि का ध्यान रखना...। इस घर में लगता नहीं हैं कोई रहता भी हैं.... फिर भी तुम ख्याल रखना...।
लेकिन रोहित तुम अकेले ....
रोहित बीच में बात काटते हुए :- ये वक़्त बहस करने का नहीं हैं अलका ......अगर वो लोग यहाँ तक पहुँच गए तो सबके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। तुम सब यही रुको जब तक मेरे लोग मदद करने यहाँ नहीं आ जाते। मेरा फोन अपने पास ही रखना ओर उनसे निरंतर संपर्क बनाए रखना और ये दरवाजा अंदर से बंद कर लो।
ऐसा कहकर रोहित अपनी कार लेकर वहाँ से चला गया।
अलका ने तुरंत दरवाजा भीतर से बंद कर दिया ओर उन लोगो से फिर से संपर्क करने लगीं।
वही दूसरी ओर रिषभ के लोग अभी भी रोहित की कार का पीछा कर रहे थें.....।
रोहित ने अपनी कार के साईड कांच से रिषभ की गाड़ी को देखा ओर मुस्कुराते हुए सोचने लगा ....आ जा भाई ....अब तुझे कुछ नहीं मिलने वाला।
इस भागमभाग में आखिरकार रिषभ की कार ने रोहित की कार को ओवरटेक कर लिया ओर उसकी कार के सामने आकर उसका रास्ता रोक दिया।
रिषभ ने अपने साइड से बन्दुक निकालते हुए रोहित को बाहर आने के लिए कहा।
रोहित अपनी कार से बाहर आ गया।
रिषभ ने रंजीत को इशारा किया ओर कहा :- जाओ दोस्त तुम्हारा इनाम जाकर ले लो रोहित की गाड़ी से ......अब ये कुछ नहीं कर पाएगा...। बहुत भाग लिया... ओर हमें भी भगा लिया।
रंजीत रोहित की गाड़ी कि ओर बढ़ा ओर उसने कार का दरवाजा खोला..
दरवाजा खोलते ही वो जोर से चिल्लाया :- रिषभ ये क्या मजाक हैं....!! उसने जोर से दरवाजा पटक दिया।
रोहित मुस्कुरा रहा था ओर मन ही मन सोच रहा था....अच्छा हुआ मैं रश्मि को साथ नहीं लाया।
रिषभ दौड़ता हुआ रोहित की गाड़ी कि ओर आया। अंदर किसी को भी ना देखकर बहुत क्रोधित हो गया ओर रोहित की गर्दन पर अपनी बंदुक रखते हुए बोला :- रश्मि कहाँ हैं.... भाई!! सच सच बता कहां छोड़ कर आया हैं उसे।
रश्मि वो मेरे साथ क्यूँ होगी। मुझे तो लगा तु मेरा पीछा कर रहा हैं....क्योंकि शायद तुझे पता लग गया हैं की प्रोप्रटी मैंने किसी ओर को दे दी है इसलिए.....। रश्मि से मेरा क्या लेना देना.....।
ज्यादा चालाकी मत करो रोहित .....मैं सब अच्छे से जानता हूँ। मेरे आदमियों से ये पक्की खबर मिली थी कि तुम रश्मि को लेकर दिल्ली से वापस जा रहे हो। चुपचाप बता दो रश्मि कहां है वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।।
लगता है तुम्हारे आदमियों को कोई गलतफहमी हो गई हैं रिषभ......मैं तो अकेला ही जा रहा हूँ....., तुम चाहो तो अच्छे से देख लो मेरी गाड़ी में।
रोहित अपनी बकवास बंद करो वरना अच्छा नहीं होगा। मेरे आदमियों को कोई गलतफहमी नहीं हुई हैं...। जल्दी बताओ रश्मि कहाँ हैं....?
मुझे सच में नहीं पता रिषभ.....ओर तुम रश्मि के पीछे क्यूँ पड़े हो, क्या बात हुई हैं.....।।
ओहह......तो अब तुझे कुछ भी नहीं पता। वाह भाई एक्टिंग तो अच्छी कर लेते हो....। अभी शराफत से बता रहे हो या नहीं......।
मुझे नहीं पता......और अगर पता भी होता तो भी नहीं बताता तुझे जो करना है कर ले.....।
रंजीत ये ऐसे नहीं मानेगा। इसको अपने साथ ले लो। हम पहले रश्मि को ढुँढते हैं....फिर देखते हैं इसका क्या करना हैं....।
ठीक हैं....।
रंजीत ने अपने आदमियों को इशारा किया ओर उसके लोगो ने रोहित को रस्सी से बांधकर अपने साथ ले लिया।
वही दूसरी ओर अलका को राहुल का फोन आया.....।
हैलो।
अलका कहाँ हो तुम लोग......!! मुझे अभी की करंट लोकेशन भेजों.....।
अलका-हां राहुल..... मैंने भेजीं हैं तुम्हें..... देखो..।
ओके..... आइ वील सी....।
ऐसा कहकर राहुल ने फोन रख दिया...।
तकरीबन आधे - पौने घंटे बाद.....
राहुल ने फिर से फोन किया.... अलका मैं तुम्हारी लोकेशन के बिल्कुल नजदीक ही हूँ.....बस पांच मिनट में पहुँच रहा हूँ....।
अलका ने राहत की सांस लेते हुए कहा- ओहह थैंक्स राहुल....। जल्दी आओ....।
राहुल ने यस कहकर फोन रख दिया।
तभी रोहित के फोन पर भी उनके लोगों का फोन आया.....।
अलका ने फोन उठाया -हैलो।
हैलो मैडम.....दरवाजा खोलिए हम बाहर ही खड़े हैं।
सामने से आवाज आई।
अलका ने तुरंत दरवाजा खोला....।
अब आप सबको घबराने की कोई जरूरत नहीं है मैडम। आप सब हमारे साथ हमारी गाड़ी में चलिए....।
लेकिन रोहित कहाँ हैं.....?
रोहित सर आपके साथ नहीं है?
उन्होंने आश्चर्य से पुछा।
नहीं वो हमें यहाँ बिठा कर चले गए।
ओहह... कोई बात नहीं हम ढूंढ लेंगे उनको अभी आप सब हमारे साथ आइये।
लेकिन हमारी मदद करने एक दोस्त आ रहा हैं....यहाँ.....थोड़ी देर रुकिए हम उनको भी साथ ले लेते हैं।
ठीक हैं।। लेकिन उनको जल्दी बुलाईये। यहाँ ज्यादा देर रुकना सही नहीं हैं...।
तकरीबन पंद्रह बीस मिनट बाद राहुल भी वहाँ पहुंच गया...।
अलका ये सब लोग कौन हैं.....!ओर रश्मि कहाँ हैं....?
वो सब मैं तुम्हें बाद में बताउंगी। पहले हमे यहाँ से तुरंत निकलना हैं......। तुम जल्दी से भीतर आकर रश्मि को उठाओ.....।
राहुल ने रश्मि को अपनी बांहों में उठाकर अपनी कार में बिठाया...। अलका और रश्मि की मम्मी भी उसके साथ बैठ गई....।
रोहित के भेजें हुए लोगों की कार भी उनके ठीक पीछे चल रही थी।
अलका अब मुझे बताओ बात क्या हैं...? रश्मि ऐसी हालत में कैसे?
अलका राहुल के साथ आगे बैठी थीं...।
अलका ने राहुल को दिल्ली में हुए पुरे हादसे के बारे में विस्तार से बताना चालू किया।
पीछे सीट पर बैठीं रश्मि को भी थोड़ा थोड़ा होश आने लगा था। लेकिन देवी को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था।
क्रमशः..............................................................
# कहानीकार प्रतियोगिता....